सफलता की चाबी: अगर आज नहीं सीखा, तो कल पछताना तय है!

सफलता की चाबी है क्या इसे समझों। किस्मत और भाग्य अपनी जगह है, लेकिन कर्म का भी तो कुछ मतलब है। जब हम अपने कर्मों को सही दिशा में करते हैं, तब ही सफलता मिलती है। बहुत बार हम अपनी स्थिति के लिए केवल किस्मत को दोष देते हैं, लेकिन यह सच नहीं है। अगर तुम्हें लगता है कि किसी और की ज़िंदगी में सब कुछ सही चल रहा है और तुम्हारी नहीं, तो क्या तुमने कभी खुद से यह सवाल किया है कि तुमने क्या किया है? तुम्हारे कर्म ही तुम्हारी दिशा तय करते हैं। सोचों, यह समय फिर नहीं आयेगा और फिर पछताने से कुछ नहीं

Photo showing hardwork

अब नहीं समझोगे तो यह समय भी निकल जाएगा। समय का मूल्य समझो। आप समय की कीमत नहीं जानोगे, तो समय आप की कीमत भी नहीं समझेगा? कहते हैं ना कि समय बलवान होता है। समय के साथ-साथ ही हमारी ज़िंदगी भी आगे बढ़ती है। अगर समय को सही तरीके से नहीं समझा तो वह हाथ से निकल जाता है। यह ऐसा मौका है जो फिर लौटकर नहीं आता।

इसलिए, जो करना है, आज करो। किसी और दिन का इंतजार मत करो। क्योंकि जब हम समय को सही तरीके से समझेंगे और उसे अपनी शक्ति बनाएंगे, तो देखना, किस ऊँचाई तक पहुँचोगे। यह समय तुम्हारे लिए एक मौका है, बस उसे पहचानो और उसे गँवाओ मत। कल का इंतजार मत करो, क्योंकि कल कभी नहीं आता। समय कि कीमत को अनेकों ग्रंथों मे और अनेकों विद्वानों ने, कवियों ने अपनी लेखनी में मत्वपूर्ण स्थान दिया है। नीचे कुछ श्लोक और दोहें कर्म और समय के इस महत्व को अच्छे से समझाते है ।

श्रीमद्भगवद गीता (2.47) में कहा गया है – “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।”

“तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, इसके फल में कभी नहीं। इसलिए कर्म के फल की इच्छा मत करो और न ही कर्म से तुम्हारा मन हटे।”

यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि कर्म करना हमारा अधिकार है, लेकिन उसके परिणाम पर ध्यान केंद्रित करना हमारा काम नहीं है। जो समय और प्रयास हम आज करेंगे, वही हमारे भविष्य को आकार देगा।

भागवत गीता (11.33)

“कालोऽस्मि लोकक्षयकृत््् प्रचेतासम्। रथं समं कर्तुमिच्छेते।।” “मैं समय हूँ, जो समस्त लोकों का विनाश करता है। मैं आकाश में आक्रमण करने के लिए स्वयं प्रकट हुआ हूँ।” यह श्लोक यह बताता है कि समय अजेय और अपरिवर्तनीय होता है। हमें समय की क़ीमत समझनी चाहिए, क्योंकि समय कभी रुकता नहीं है और आगे बढ़ता जाता है।

योग वशिष्ठ (3.15)

“समयस्य विभूतिं दृष्ट्वा, कार्य सिद्धिः प्रदीयते। मर्त्यं समन्वितं वेद, कर्म कार्यं च संस्थितम्।।” अर्थात समय की शक्ति को देखो, यही कर्मों का फल है। मनुष्य को समझना चाहिए कि कर्म और समय दोनों मिलकर उसे सिद्धि की ओर ले जाते हैं।

यह श्लोक समय और कर्म की गहरी समझ को दर्शाता है और बताता है कि हमारे कर्म ही हमारे समय की शक्ति को निर्धारित करते हैं, और यही हमें हमारी सफलता या असफलता की ओर मार्गदर्शन करते हैं। अर्थात समय और कर्म का उचित संतुलन ही जीवन में सफलता और खुशहाली लाता है।

अनेकों कवियों ने अपने दोहों में बार- बार समय और कर्म के महत्व को बताया है । कुछ उनमे ये निम्न है :

  1. काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। पल में परलय होयगी, बहुरि करेगा कब। इस दोहे में कबीर दास जी कहते हैं कि जो काम कल करना है, उसे आज कर लो और जो काम आज करना है, उसे अब करो। समय का मूल्य समझो, क्योंकि यह कभी रुकता नहीं है। पलभर में जीवन के सारे काम बदल सकते हैं। इसलिए समय को न खो दो, बल्कि हर पल का सही उपयोग करो। अर्थात समय नष्ट न करो।
  2. दूरि रे बाबा दूरि रे, न चूका रहे बिठाय।
    समय का खेल बड़ा है, जो होगा वही आय।
    कबीर जी कहते हैं कि समय का खेल बहुत अद्भुत है। हम जो कुछ भी करें, आखिरकार समय के हिसाब से ही सब कुछ होता है। समय कभी किसी को नहीं छोड़ता, चाहे वह राजा हो या रंक।
  3. समय के संग जीओ, समय से डरो नहीं। जो समय से लड़े, वह कभी न जीत सके।” रहिंदास जी के इस दोहे में समय के साथ चलने और समय का सम्मान करने की बात कही गई है। जो समय से लड़ते हैं, वे कभी भी जीवन में सफलता नहीं प्राप्त कर सकते। समय को समझकर उसी के अनुसार चलना चाहिए।
  4. “समय को खोने से बढ़कर कोई दोष नहीं है।
    जो समय की क़ीमत नहीं समझे, वह जीवन में कोई भी काम नहीं कर सकता।”
    इस दोहे में रहिंदास जी ने समय की महत्ता को स्पष्ट किया है। समय को खो देना सबसे बड़ा दोष है, क्योंकि समय का सही उपयोग ही जीवन को सार्थक बनाता है।
  5. जो समय की महिमा समझे, वही जीवन में सफल हो। जो समय को न समझे, वह सदा संघर्ष में उलझा रहे।” तुकाराम जी इस दोहे में हमें यह शिक्षा देते हैं कि समय को समझना ही जीवन में सफलता प्राप्त करने का एकमात्र मार्ग है।
  6. समय के साथ काम करो, फिर जीवन में कोई कमी नहीं रहेगी। जो समय से पीछे हटता है, वह हमेशा दुर्बल रहता है।” संत ज्ञानेश्वर जी इस दोहे में समय के महत्व को समझाते हुए कहते हैं कि समय के साथ चलने से कोई भी काम अधूरा नहीं रहता, और समय से पीछे हटने से जीवन में कठिनाइयां आती हैं।
  7. समय का हर पल अनमोल है, इसका सही उपयोग करो। समय को खो देने से फिर वह पल कभी वापस नहीं आता।” इस दोहे में ज्ञानेश्वर जी समय की क़ीमत बताते हैं और यह कहते हैं कि समय का एक-एक पल अनमोल होता है, इसे गंवाना नहीं चाहिए।

Know your tomorrow’s prediction

बॉक्स ऑफिस हिलाएगा ‘सिकंदर’ सलमान खान

https://www.linkedin.com/in/anjali-singh-030aa035a

1 thought on “सफलता की चाबी: अगर आज नहीं सीखा, तो कल पछताना तय है!”

Leave a comment

LinkedIn
LinkedIn
Share
Instagram
VK
VK
VK